पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के चारों चरण में मंगल और बुध का फल कथन :-
मंगल
मंगल पर सूर्य को दृष्टि हो तो जातक चिकित्सा सेवा से आजीविका चलाता है किंतु पारिवारिक सुख से
बचित रहता है। चंद्र की दृष्टि हो तो व्रण एवं जलोदर रोग होने की संभावना रहती है। ऐसा जातक अल्प पढ़ा लिखा एवं धर्मशाला की देखरेख या सुरक्षा सेना में कार्यरत रहता है। बुध की दृष्टि हो तो जातक झूठा,कव्य एवं गणित में रुचि रखने वाला होता है। बृहस्पति की दृष्टि हो तो प्रारंभिक जीवन दुखी किंतु मध्यावस्था सुखकर रहती है। जातक परदेश में रहता है। शुक्र की दृष्टि हो तो धनांगी, अनैतिक कार्यों में संलग्न, यदाकदा धन, भोजन एवं वस्त्र के लिए भी वाचत रहता है। शनि की दृष्टि हो तो जातक चोर, धैर्यवान एवं बुरी प्रकृतिवाला होता है।
★ प्रथम चरण में मंगल हो तो जातक चिकित्सा व्यापार या सेनोपयोगी उपकरणों के माध्यम से उदरपूर्ति करता है। उसे असेवनीय औषधियों के प्रयोग से उत्पन्न रोग, महामारी आदि रोगों की पीड़ा रहती है। शल्यक्रिया होने की भी संभावना रहती है। वह जीवन में कई बार विधि के व्यूह में घेरा जाता है।
★ द्वितीय चरण में मंगल हो तो जातक सुरक्षा सेना में प्रगति करता है। उस पर अभिचार कार्य का असर होता है और ठीक न होने वाले रोग उत्पन्न होते हैं।
★ तृतीय चरण में मंगल हो तो जातक शिल्पी बनता है। उसका वैवाहिक जीवन सुखी होता है। बृहस्पति भी मंगल के साथ हो तो जातक धनवान, वाचाल, उच्चाधिकारी बनता है। ऐसा जातक आर्थिक परामर्शदाता होता है।
★ चतुर्थ चरण में मंगल हो तो जातक दूसरों की धन-संपत्ति हड़पता है।असामाजिक तत्वों से जुड़ा रहता है और पत्नी एवं संतति के प्रेम से वंचित रहता है। वह अपने कामों एवं धनार्जन में चतुर होता है।
बुध
बुध पर सूर्य को दृष्टि हो तो जातक सत्यवादी एवं ललित कला में रुचि रखने वाला होता है। राज्य शासन से सम्मान प्राप्त करता है। चंद्र की दृष्टि हो तो कुतर्क करने वाला, तीखे स्वभाव का रहता है। मंगल की दृष्टि हो तो तत्पर दिखने में सुंदर एवं कुटिल रहता है। किसी बड़े आदमी की सुरक्षा के लिए नियुक्त रहता है। बृहस्पति की दृष्टि हो तो धन एवं सुख भोगी रहता है। शुक्र की दृष्टि हो तो शासन से सम्मानित, शत्रुहंता एवं
राजकीय सम्मान प्राप्त करने वाला होता है। शनि की दुष्टि हो तो सहज रूप से
यश प्राप्त करने वाला सम्मानित, बहुमूल्य वस्त्र धारण करने का प्रमी होता है।
★ प्रथम चरण में बुध हो तो जातक धनवान एवं सामानित रहता है परंतु उसकी देह एवं स्मरणीय दुर्बल रहती है। वह संकीर्ण आचरण वाला एवं पत्नी तथा संततिसर बाँचत रहता है। उसके द्वारा अन्य लोग लाभान्वित होते हैं लेकिन कटुम्ब एव पत्नी का लाभ नहीं मिलता।
★ द्वितीय चरण में बुध हो तो संतान आज्ञाकारी रहती है। किंतु वह अपनी पत्नी से विरक्त रहता है। जातक श्रेष्ठ मध्यस्थ, गणितज्ञ एवं लेखाकार रहता है। मंगल बुध का संयोग हो तो रक्तदाप रहता है एवं किसी असाध्य रोग से पीड़ित रहता है। हृदय रोग भी उत्पन्न होता है।
★ तृतीय चरण में बुध हो तो जातक भ्रमवश समान एवं अपनी जाति से अलग रहता है। उसके मित्र एवं भाई-बहन भी उसके शत्रु रहते हैं। पत्ला एवं संतति का असहयोगी रहता है। स्मरणशक्ति दुर्बल रही अप्रिय घटनाएं घटती हैं।
★ चतुर्थ चरण में बुध हो तो जातक धनवान किंतु शीघ्रकोपी रहता है। किसी को सहयोग नहीं देता। अपने कर्मों का फल भोगता है। अनुचित एवं अनैतिक कृत्यों के कारण शरीर रोगग्रस्त रहता है।
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